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दिवाली क्यों मानते है

दिवाली  कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है जो ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दिवाली  भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिवाली जिसे दीपों का त्यौहार नाम से भी जाना जाता  है।

दिवाली को सभी बड़ी धूमधाम से मानते है। इस दिन माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है। माता लक्ष्मी को फल , फूल ,मिठाईया आदि चढ़ा कर पूजा अर्चना और आरती की जाती है। अमावस्या की काली रात में दीपो को जला कर अँधेरे को दूर किया जाता है और चारो तरफ दीपो की जगमगाहट फैली रहती है।

दिवाली मानाने के पीछे कई सारे पौराणिक कहानियाँ और मान्यताये है तो आइये जानते है इनके बारे में –

१.  भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे

कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त करके अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने पुरे अयोध्या को फूलो से सजाकर और दीप जलाकर उनका स्वागत किया और उत्साह मनाया था। तभी से दिवाली मनाई जाती है।

२. प्रकट हुए देवी लक्ष्मी , धन्वंतरि और कुबेर

देवी लक्ष्मी , धन्वंतरि और कुबेर

पौराणिक ग्रंथो के अनुसार देवी लक्ष्मी दूध के सागार , जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है ,से उत्पन्न हुए थी और साथ ही समुद्र मंथन से आरोग्य देव धन्वंतरि और कुबेर महाराज भी प्रकट हुए थे।

३. श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया

भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर नमक राक्षस का वध दिवाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी को किया था। इसी ख़ुशी में अगले दिन गोकुलवाशियो ने दीप जलाकर खुशिया मनाई।

४. हिरण्यकश्यप का वध

एक कथा ये भी है की भगवन विष्णु ने नरसिंह रूप धारण करके अपने परम भकत प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप के अत्याचार से बचने के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दिए जलाये।

५. शक्ति ने धारण किया महाकाली का रू

आदि शक्ति का रूप माँ काली ने जब राक्षसो का वध करने के बाद भी उनका क्रोध शांत न हुआ तो स्वय भगवन शिव उनके चरणों में लेट में गए। भगवान शिव के स्पर्श मात्रा से ही देवी का क्रोध शांत हो गया। इसी की याद मे इनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुआ। इसी रात इनके रौद्ररूप काली रूप की पूजा का भी विधान है।

दिवाली भारतीयों का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे सभी देशवाशी बड़ी ही धूमधाम और ख़ुशी से मनाते है। सभी चारो तरफ दीये जलाकर , पटाखे फोड़कर , मिठाइयाँ बांटकर एक दूसरे के साथ अपनी खुशियाँ बाटते है।

 

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