भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर 92 साल की उम्र में दुनिया में अलविदा कह दिया है। पिछले दिनों वो कोविड की वजह से बुरी तरह से बीमार हुए थी और लता दीदी को पिछले कुछ दिनों से निमोनिया भी हो गया था। कुछ समय बाद बीमारी से ठीक होने के बाद उनको अस्पताल से छुट्टी मिल गयी थी लेकिन एक बार उनकी तबियत खराब हो गयी थी जिसके वजह से उनको फ़ौरन अस्पताल ले जाया और मुंबई के ब्रिज कैंडी हॉस्पिटल में icu में वेंटीलेटर पर रखा गया था। 6 फरवरी को सुबह 8:12 मिनट्स पर लता ने अंतिम साँस ली और दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
लता जी ने बेहद कम उम्र में अपने पिता को खो दिया था। इसलिए पूरी परिवार की जिम्मेदारी लता जी पर आगयी थी। लता जी 4 भाई – बहनो में सबसे बड़ी थी इसलिए पुरे परिवार का भर लता जी को ही उठाना पड़ा। इसलिए लता जी ने संगीत की दुनिया में कदम रखा।
लता जी का म्यूजिक कर्रिएर
लता जी जब ५ साल की थी तभी से उन्होंने संगीत सीखना शुरू कर दिया था। 1945 में लता जी में मुंबई आयी और यहाँ पर उन्होंने क्लासिकल म्यूजिक सीखा। कहा जाता ही की शुरुआत के दिनों में लता जी को कुछ खास पसंद नहीं किया जाता था और लता जी को रिजेक्ट कर दिया था ये कह कर की उनकी आवाज बहुत पतली है। 1948 में लता जी को फिल्म मजबूर में गाना गाने का मौका मिला जिसमे उनकी आवाज को बहुत पसंद किया गया, और उस दिन के बाद से लता जी में पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता सीढ़िया चढ़ते चली गयी।
मान -सम्मान और पुरस्कार
लता जी कई भाषाओ में हजारो गाने गए है जिसके लिए उनका नाम गिनीज ऑफ़ वर्ल्ड बुक में भी रिकॉर्ड है। लता जी को अपने जीवनकाल ने ऐसा कोई भी पुरस्कार नहीं है जिसे उन्होंने अपने नाम न किया हो। लता जी को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, पद्म भूषण पुरस्कार, पदम् विभूषण पुरस्कार, फिल्म फेयर पुरस्कार, दादा साहब फाल्के और देश का सबसे बड़ा सम्मान पुरस्कार भारत रत्न भी अपने नाम किया है।
लता जी सिंगिंग और आवाज में वो जादुई अहसास था जो किसी की आवाज में नहीं था। लता जी के गाये हुए गीत न सिर्फ मन को बल्कि दिल को भी बहुत शुकुन देने वाला था। भारत की इस स्वर कोकिला को हम दिल से नमन करते है और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है।
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