अक्सर शादी शुदा महिलाओं के पैरो में बिछिया देखने को मिलता है। पर क्या अपने कभी सोचा है की महिलाये ये बिछिया आखिर क्यों पहनती है ? इसके पीछे की वजह क्या है ? तो आइये जानते है इन बातो को –
स्त्री के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है बिछिया
स्त्री के सोहल श्रृंगार होते है जिसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है बिछिया। बिछिया शादी के समय ही महिलाये पहनती है और आजीवन पहनती है। इसे सुहागन होने का प्रतिक माना जाता है। इसलिए शादी शुदा महिला के दो या तीन पैरो की उँगलियों में पहनते हुए देखा जाता है। शास्त्रों में बिछिया को लक्ष्मी का वाहक माना जाता है, इसलिए ऐसा कहा जाता है की अगर बिछिया खो जाए तो लक्ष्मी भी रूठ जाती है।
प्राचीन काल से पहना जाता है बिछिया
बिछिया प्राचीन काल से ही पहना जाता है राम युग में भी माता सीता में शादी के बाद से पैरो में बिछिया पहना था। ऐसा भी माना जाता है की बिछिया पति -पत्नी को आपस में जोड़कर रखती है , इसलिए भी महिलाये बिछिया पहनती है। केवल महिलाये ही नहीं बल्कि देवी माँ को बिछिया उनके श्रृंगार में भेट किया जाता है। इसलिए बिछिया देवी माँ को भी अति प्रिय होता है।
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चाँदी का बिछिया पहनने का भी है वैज्ञानिक कारण है
महिलाये अक्सर चाँदी का ही बिछिया पहनती है। चाँदी का बिछिया पहनने का है वैज्ञानिक कारण। चाँदी एक ऐसा धातु है जो शरीर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। जिससे स्वस्थ भी अच्छा रहता है साथ ही मन भी प्रसन्न रहता है। आयुर्वेद के अनुसार पैर के दूसरे और तीसरे उँगुली की नसे सीधे गर्भाशय और हृदय से जुडी हुई होती है। इसलिए चाँदी का बिछिया पहनने से हृदय और गर्भाशय सम्बंधित रोग नहीं होते है।
एक्यूप्रेशर का काम करती है बिछिया
बिछिया पहनने से एक्यूप्रेशर लाभ भी मिलता है , ऐसा इसलिए क्युकी बिछिया पैरो की कुछ नसों को दबाती है जिससे प्रजनन शक्ति में लाभ मिलता है। बिछिया पहनने से हमारे शरीर की अंगुलियों पर प्रेशर पड़ता है, जिससे पीरियड साइकिल भी सही रहता है।
उम्मीद करते है ये जानकारी आपके काम जरूर आएगी। ऐसी जानकारी के लिए आप hinglishblog पढ़ते रहिये।