आज शिवरात्रि के पवन दिन पर सभी भक्त अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश करते है। इसके लिए सभी भक्त भगवान शिव को अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार उनकी प्रिय वस्तु को भी अर्पण करते है। जिसमे जल, दूध, दही , शहद, फूल, बेल पत्र आदि चीजों को चढ़ाते है। पर क्या आप जानते है की भगवान शिव को दूध क्यों चढ़ाया जाता है। इसके दो कारण है पहला साइंटिफ़िक और दूसरा पौराणिक।
तो आइये जानते है इन दोनों करनो को।
1- पौराणिक कारण
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्र में से अमृत के साथ विष भी निकला था। मंथन से निकला विष इतना घातक था की पूरी दुनिया पर संकट के बादल मडराने लगे। इस विपत्ति को देखते हुए सभी देवता और दैत्य भगवान शिव से बचाने की प्रार्थना करने लगे। क्युकी भगवान शिव के पास ही इस विष को सहन करने की क्षमता थी। तब भगवान् शिव ने संसार के कल्याण के लिए बिना किसी देर किये सम्पूर्ण विष को अपने कंठ में धारण कर लिये थे । विष का तीखापन और ताप ज्यादा इतना था की भगवान शिव का कंठ नीला पड गया और शरीर ताप से जलने लगा।
जब विष का घातक प्रभाव शिव और उनकी जटा में विराजमान गंगा पर पड़ने लगा तो उन्हें शांत करने के लिए जल की शीतलता कम पड़ने लगी। उस वक्त सभी देवताओ ने भगवान शिव का जलाअभिषेक करने के साथ ही दूध को भी ग्रहण करने का आग्रह किया। सभी के कहने पर भगवान शिव ने दूध को ग्रहण किया और शिव जी पर दूध से अभिषेक भी किया गया।
तभी से शिव जी पर दूध चढ़ाने की परम्परा है। तभी से दूध शिव जी को पसंद भी है। सावन के महीने में भगवान शिव को दूध का अभिषेक करने पर भक्तो की सारी मनोकामना पूरी होती है।
2- साइंटिफ़िक कारण
कहते है शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का एक साइंटिफ़िक कारण भी है और वो यह है की शिवलिंग एक विशेष तरह का पत्थर होता है। इस पत्थर को क्षरण से बचने के लिए ही इस पर दूध, दही, घी, शहद जैसे ठन्डे और चिकने पदार्थ का अर्पण किया जाता है ,
अगर शिवलिंग पर लम्बे समय तक तैलीय और वसायुक्त सामग्री अर्पित नहीं करते है तो समय के साथ बांगुर होकर टूट जाते है। परन्तु यदि इसे हमेशा गीला रखा जाता है तो हजारो वर्षो तक ऐसे ही बने रहते है। क्युकी शिवलिंग का पत्थर इन सभी पदार्थो को अवशोषित कर लेता है जो एक तरह से इसका भोजन होता है।
शिवलिंग पर उचित मात्रा में खास समय पर दूध, दही , घी अर्पित किया जाता है और शिवलिंग को हाथो से रगड़ा नहीं जाता है। यदि अत्यधिक मात्रा में अभिषेक किया जाता है तो हाथो से रगड़ा जाता है इसलिए भी शिवलिंग का क्षरण हो सकता है। इसलिए खासकर सावन महीने में ही शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है।
उम्मीद है आपको आर्टिकल पसंद आएगा। किसी तरह की जानकारी के लिए आप मुझे कमेंट में सकते है।