Close

सेरोगेसी क्या है ?

दुनिया के सारे सुख एक तरफ और संतान सुख एक तरफ। माँ बनना हर औरत का सपना होता है और ये एक ऐसा सुख है जिसे दुनिया हर औरत पाना चाहती है। लेकिन हमारे देश में ऐसे भी कई दम्पति है जिन्हे ये सुख नहीं मिल पाता है और वो संतान सुख से वंचित रह जाते है।

लेकिन आज विज्ञानं ने इतनी तरक्की कर ली की अब जिन दम्पति को बच्चे की इच्छा होता है वो भी अपनी इस इच्छा को पूरा सक सकते है। अब उनके घर भी किलकारी जुंग सकती है। तो आइये जानते है वो कौन सी तकनीक है।

सेरोगेसी

आज कल सेरोगेसी शब्द बहुत सुनाने को मिलता है ये शब्द जितना पॉपुलर है उतना ही ये ट्रेंड भी में भी है। सेरोगेसी का मतलब होता है “किराये की कोख”. साधारण तौर पर किराये की कोख का सहारा तब लिया जाता है जब कोई दम्पति अपने बच्चा खुद पैदा करने में सफल नहीं होते है। पुरुष में किसी तरह की समस्या होती है या फिर स्त्री में अगर किसी तरह की समस्या होती , तब वो सेरोगेसी का सहारा लेते है।

सेरोगेसी क्या है

सेरोगेट मदर को “बॉयोलॉजिकल मदर” भी कहा जाता है। यानी अंश आपका और कोख किसी और का। सेरोगेसी में किसी महिला की कोख को किराये पर लिया जाता है जिसमे स्त्री के शुक्राणु और पुरुष के अंडाणु को निषेचित करके महिला के गर्भ में छोड़ दिया जाता है। सेरोगेट मदर 9 महीने तक उस बच्चे को अपने गर्भ में पालती है। इस दौरान उस महिला को सभी तरह की सुख – सुविधाएं दी जाती है जिसकी उसको जरुरत होती है। और बच्चे के जन्म के बाद महीला उस बच्चे को इच्छुक दम्पति को सौप देती है जिसके बदले में उसे अच्छी खासी मोती रकम मिलती है।

सेरोगेसी का फायदा न सिर्फ आम आदमी ले रहा है बल्कि ऐसे बहुत से बॉलीवुड एक्टर और एक्ट्रेस है जिन्होंने सेरोगेसी की मदद से माँ बनने का सुख प्राप्त किया है।

सेरोगेसी दो तरह की होती है

1 – ट्रेडिशनल सेरोगेसी

ट्रेडिशनल सेरोगेसी में पुरुष के शुक्राणु को किसी दूसरी महिला अंडाणु के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें होने वाले बच्चे का जेनेटिक सम्बन्ध सिर्फ पिता से होता है।

२- जेस्टेशनल सेरोगेसी

जबकि जेस्टेशनल सेरोगेसी में माता के अंडाणु और पिता के शुक्राणु को मिलकर लैब में निशेचित किया जाता है और भ्रूण बनाने पर उसे सेरोगेट मदर के बच्चेदानी में छोड़ दिया जाता है। जिसके बाद सेरोगेट मदर उस बच्चे को 9 महीने तक अपने पेट में पालती है। इस केस में बच्चे का अपने माता – पिता दोनों से जेनेटिक सम्बन्ध होता है।

कौन बनती है सेरोगेट माँ

आज के समय में भला कौन दूसरे के बच्चे को अपने कोख में 9 महीने रख कर सारी परेशानियों को झेलकर , सारे दर्द को सह कर बच्चे को जन्म देती है। लेकिन भूख और गरीबी लोगो से वो सब करवाती है जिसे कोई नहीं करना चाहता। आम तौर पर देखा जाता है की 18 से 35 साल तक की महिलाये सेरोगेट माँ बनाने के लिए तैयार रहती है। ऐसे में सेरोगेट माँ को मानसिक और शारीरिक दोनों तरफ से तैयार रहना पड़ता है। जिससे वो बच्चे से अच्छे से कैर्री कर सके और साथ ही एक स्वस्थ बच्चा पैदा कर सके। सेरोगेट मदर बनने के लिए अच्छी खासी मोती रकम भी मिलती है।

विवाद भी होता है

कई बार सेरोगेट माँ को बच्चे से इतना ज्यादा भावनात्मक लगाव हो जाता है जिससे बाद में वो बच्चे के जन्म के बाद देने से मना कर देती है। तो ऐसे में विवाद की स्थिति तैयार हो जाती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है की जन्म लेने के बाद अगर बच्चे में किसी तरह की कोई कमी होती है या फिर मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग होता है तो बच्चे के असली माता – पिता बच्चे को लेने से मना कर देता है। तो ऐसी स्थिति में भी विवाद की समस्या हो जाती है।

आज के दौर में विज्ञानं ने इतनी तरक्की कर ली की अब हर किसी को माता – पिता बनाने का सुख आसानी से मिल सकता है। सेरोगेसी एक काफी लम्बा प्रोसेस होता है जिसमे बहुत ज्यादा रुपयों को भी खर्च करना पड़ता है।

तो दोस्तों उम्मीद है आपको सेरोगेसी से रिलेटेड आर्टिकल पसंद आएगा। किसी भीतरह की जानकारी के लिए आप मुझे कमेंट में पूछ सकते है।

Hello! My name is Pooja Gupta, I am a professional hindi blogger who likes to write a lot. I like reading books surfing Internet and cooking testy foods.

scroll to top